Thursday, June 17, 2010

गहराई : जीवन की

समुद्र की गहराई को,
पानी ही छुपाता है!
इसीलिए तो तैरने वाला,
डूब जाता है!

गहराई तो सभी में होती है,
अंतर इतना सा है की,
कोई समुद्र, तो कोई तालाब
बनकर रह जाता है!

गहराई भी जरुरी है क्योंकि,
समतल धरा पर पानी,
टिक नहीं पाता है!

प्रशन यह है कि, 
तालाब क्या और
समुद्र क्या पाता है?
कोई क्या पायेगा?
सब कुछ तो क्षमता से आता है!

किस्मत भी वह खुद बनाता है,
इसीलिए उसे याद रखा जाता है,
पर लोगो को भ्रम हो जाता है,
कि वह किस्मत की ही खाता है,
और क्षमता का मूल्य व्यर्थ हो जाता है!

कोई समाप्त,
तो कोई जीता ही जाता है,
किस्मत का खेल,
कौन जान पाता है,
तालाब तो पार कर भी लूँ हरीश,
पर समुद्र का छोर,
मुश्किल से आता है!

24 comments:

  1. Wah Harish Babu, Badhiya Hai.

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  2. isi baat par meri taraf se pehla vote bhi

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  3. बहुत बढ़िया है भाई !

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  4. बहुत अच्‍छी है जी
    justclick-rinku.blogspot.com

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  5. गहराई भी जरुरी है क्योंकि,
    समतल धरा पर पानी,
    टिक नहीं पाता है!
    बहुतसटीक पंक्तिया !

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  6. बेहतरीन कविता हरीश. जीवन की गहराइयाँ लिए हुए. ज़बरदस्त!

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  7. तालाब तो पार कर भी लूँ हरीश,
    पर समुद्र का छोर,
    मुश्किल से आता है!

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  8. समुद्र की गहराई को,पानी ही छुपाता है!
    इसीलिए तो तैरने वाला,डूब जाता है!

    very true.....my dear friend
    keep on writing......All the very Best

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  9. सुमित जी आगे भी लिखता रहूँगा और आपकी भावनाओं पर खरा उतरूंगा

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  10. Harish Ji lagta hai ki aap Jivan ki gahrayi ke samunder mai dub chukle hai.....

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  11. aur kaphi achha likha hai aapne!!!

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  12. शाह नवाज़ जी मैं आपको कल जवाब नहीं दे पाया

    लेकिन आज मैं आपकी सेवा में उपलब्द हूँ

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  13. Good and Deep thought....of life

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  14. प्रशन यह है कि,
    तालाब क्या और
    समुद्र क्या पाता है?
    कोई क्या पायेगा?
    सब कुछ तो क्षमता से आता है!

    Yes!!!!your 1st fight with yourself .....

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  15. Good knowledge ....

    पर लोगो को भ्रम हो जाता है,
    कि वह किस्मत की ही खाता है,
    और क्षमता का मूल्य व्यर्थ हो जाता है!

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  16. गहराई तो सभी में होती है,
    अंतर इतना सा है की,
    कोई समुद्र, तो कोई तालाब
    बनकर रह जाता है!

    सही कहा हरीश भाई, कोई समुंदर तो कोई तालाब होता है! कई लोग तो इतने गहरे होते हैं की हमें अपने बारे मैं कुछ बताते ही नहीं......बस इतना ही कहूँगा....

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  17. किस्मत भी वह खुद बनाता है,
    इसीलिए उसे याद रखा जाता है,
    पर लोगो को भ्रम हो जाता है,
    कि वह किस्मत की ही खाता है,
    और क्षमता का मूल्य व्यर्थ हो जाता है!

    नहीं हरीश, शमता का मूल्य व्यर्थ नहीं होता मेरे दोस्त......वो तो उस इन्सान के व्यक्तितव से झलकता है वो कितना मेहनती है और उसको उसके कार्य के बदले क्या मिला है............मैं सही हूँ न हरीश.....

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