Tuesday, April 20, 2010

गरीब जीवन की परिस्थिति

कुछ समय शांत स्थान पर व्यतीत करने के लिए, मैं शाम के समय अपने घर से बाहर निकला और एक स्थान पर जाकर बैठ गया. कुछ समय के बाद मैंने एक सब्जी बेचने वाले को एक महिला से झगड़ते देखा, उसी पल मैंने सोचा कि मैं वहां जाकर पता करूँ कि किस बात पर महिला और सब्जी बेचने वाले में झगड़ा हो रहा हैं. लेकिन उसी वक़्त सब्जी वाला वहां से अपनी ठेली लेकर मेरी तरफ आने लगा, पीछे - पीछे वह महिला भी आने लगी, तो मुझे लगा कि यहाँ मेरी सहायता की जरुरत हैं. मैंने उस महिला से पूछा कि आप दोनों क्यों झगड़ रहे हो?

झगड़े का विषय: उस महिला ने दो दिन से सब्जी बेचने वाले का पुराना उधार नहीं चुकाया था. और उसे शाम को घर में अपने दो बच्चो और अपने पति के लिए खाना पकाना था जिसके लिए उसने 10 रुपये के आलू उधार मांगे थे. आलुओ समेत उसका कुल उधार 57 रुपये हो गया था. इस बात के लिए सब्जी वाला तैयार नहीं था.

गरीब जीवन की परिस्थिति: वह महिला उस सब्जी वाले से निवेदन कर रही थी कि वह उसके 57 रुपये कल चुका देगी, तभी मैंने भी सब्जी वाले से आग्रह किया कि वह उस महिला को 10 रुपये के आलू दे दे, सब्जी वाले ने उसे आलू दे दिए और वह वहां से चला गया. मैं भी वहा से जाने ही लगा था तभी वह महिला मुझसे आगे निकल गई, और उस महिला का बच्चा बोला कि "अम्मी मुझे भी कुछ दिलादो, अम्मी अपने बच्चे से बोली "तेरे अब्बू को एक महीने से मजदूरी नहीं मिली हैं. मैं तुझे कुछ भी नहीं दिला सकती".

ये सभी बाते मैंने सुन ली थी, मैंने उस महिला से पूछा कि आपने सब्जी वाले को कल उधार चुकाने को कहा हैं आप वह कैसे चुकाओगी. महिला ने जवाब में कहा कि अगर मैं सब्जी वाले को ऐसा नहीं कहती तो आज मेरे बच्चों के लिए खाना नहीं बन पाता.