Monday, July 26, 2010

नेतागिरी की अजब कहानी - - - - - - - - - हरीश कुमार तेवतिया

चाहे गुजरात के गृहमंत्री अमित शाह गुनाहगार हों या ना हो लेकिन गुजरात सरकार को पक्ष लेना और विपक्ष को हमेशा की तरह विरोध करना जरुरी क्यों है? सवाल यह उठता है कि क्या राजनीतिज्ञों को भारतीय कानून पर भरोसा नहीं है?

पक्ष-विपक्ष की क्या जिम्मेदारी होती है? हमें तो समझ आ रहा है की केवल समर्थन अथवा विरोध ही उनका काम होता है. राजनीति का यह एक अजीब रंग है कि राजनीतिज्ञ अदालत के बीच में भी अपना फैसला सुना सकते है! ये क्या मजाक है "जिसका काम उसी का साजे, कोई और करे तो डंडा बाजे" - अगर सीबीआई जैसी संस्था अपने काम को सही तरह से नहीं करेगी तो हो सकता है कुछ समय बाद केवल राजनीति ही न्याय और अन्याय करेगी! "जिसकी लाठी उसकी भैस", अच्छा है.

काम की कमी नहीं है, पर राजनीति में कोई काम नहीं है, केवल राजनीति ही है! मिया - बीबी जान से गए और मामला विपक्षी दलों के खेल तक जा पहुँच. मेरे विचार से कानून को अपना काम करना चाहिए, और राजनीतिज्ञों को इसमें रोड़ा नहीं अटकाना चाहिए, ना ही पक्ष को और ना ही प्रतिपक्ष को.

ऐसे हालात में यह आशा करना कि "भारतीय राजनीति अब नया रंग लेकर आएगी" दूर की गोटी लगती है.

Tuesday, July 20, 2010

हमारीवाणी का स्वागत है!


ब्लॉग जगत में हमारीवाणी का स्वागत है. ब्लॉगवाणी के बंद हो जाने के बाद जब 15 -16 दिन पहले मैंने अपने ब्लॉग को हमारीवाणी पर रजिस्टर कराया, तो उसके एक-दो दिन बाद हमारीवाणी की तरफ से एक ईमेल आई   जिसमें मेरी सदस्यता के बारे में बताया गया था, उसे पढ़कर मुझे लगा कि फिर से सब कुछ ठीक हो जायेगा. लेकिन उसमें दिए लिंक पर क्लिक करने पर हमारीवाणी को fleedcluster पर चलते देख मैं परेशान ही नहीं मायूस भी हो गया था.

लेकिन आज हमारीवाणी को देख कर मन प्रसन्न हो गया, मैं उत्सुकता वश उसके फीचर को देखने लगा, थोडा समय बिताने के बाद मैंने देखा कि हमारीवाणी ने सबसे पहले मुझे ही सदस्यता दी और मेरे ब्लॉग को सम्मिलित किया, यह देखकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, अब मैं फिर से पुरे जोश के साथ ब्लॉग लिखने को तैयार हूँ!


हमारीवाणी का धन्यवाद और हार्दिक शुभकामनायें!!

Thursday, July 8, 2010

फिर मर गई इन्सानियत

आज के इस दौर में, हम लोग अपनी अंतर आत्मा का बलात्कार करते ही जा रहे है | जिसका एक उदाहरण मैं लिख रहा हूँ |

कुत्ता जो सभी के लिए वफादार साबित होता आया है और भविष्य में भी वफ़ादारी के लिए ही जाना जायेगा, उसी के साथ कुछ लोगों ने क्या कियापिछले सप्ताह की यह घटना है कि एक कुत्ता गली में रात के समय किसी अनजान व्यक्ति को आने नहीं देता था, लेकिन वह उस गली के बच्चो से लेकर बूढों तक सभी की पहचान रखता थावैसे तो वह पिछले सप्ताह से ही जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहा था, और आज उसका निधन हो गयाकारण:  गली के सभी रहने वाले लोगों के साथ वफ़ादारी है | वहां के लोगों को यह मालूम ही नहीं कि वह किसके कारण मौत के घाट उतारा गया|

आज के समय में किसी को मौत के घाट उतारने की कोशिश किस हद तक की गई, जोकि कामयाब भी हो गई|
पहले तो उस कुत्ते के ऊपर तेजाब का इस्तेमाल किया गया, जिसके कारण उसका सारा शरीर जल चुका था |
लेकिन कुछ लोगों ने उसे बचाने के लिए उसकी मरहम-पट्टी की तो दोबारा से किसी ने उसके ऊपर तेजाब का इस्तेमाल किया और गले में रस्सी बांधकर उसको मौत के घाट उतार दिया | जो हमे बचाता है हम उसी को मौत के घाट उतार देते हैं

अब किसको क्या कहा जाये, हमे तो लगता है अब केवल एक ही तरह के लोग बचे हैं जो मुहं में  राम और बगल में छुरी रखते हैं |