Tuesday, March 5, 2013

घायल बुजुर्ग नागरिक के साथ प्रशासन का बुरा व्यवहार

बीमार बुजुर्ग नागरिक के साथ प्रशासन का बुरा व्यवहार (रविवार शाम 2 मार्च 2013, गुरु तेग बहादुर अस्पताल, दिल्ली, भारत।)

बहुत दुःख के साथ आपको ये घटना लिख रहा हूँ, जब मैं रविवार 2 मार्च 2013 को अपने प्रिय जन को देखने गुरु तेग बहादुर अस्पताल, दिल्ली के आपातकालीन प्रवेश द्वार पर पहुंचा तो मैंने एक बुजुर्ग व्यक्ति को अस्पताल की पट्टियों से बंधा देखा। उसके आस-पास दिल्ली पुलिस, अस्पताल के सुरक्षा कर्मी और अपने प्रिय जनों से मिलने आये लोग मोजूद थे। सभी उन्हें पागल कह वहां से निकल रहे थे या उन्हें देखे ही जा रहे थे, जैसे कोई तमाशा हो रहा हों। मैंने नजदीकी लोगो से पूछने की कोशिश की तो कुछ लोगो ने बताया कि शायद यह पागल है।

इस पर मैंने सुरक्षा कर्मी से पुछा कि क्या किसी पागल को इतने लोगो के सामने, रात के समय अस्पताल की चार दिवारी के अन्दर ऐसे बाँध कर रख सकते हैं? पहले तो पुरुष सुरक्षा कर्मी (जो आपने आपको सुपरवाइजर बता रहा थे) ने कहा कि ये आपातकालीन के कमरा नंबर 54 में शोर मचा रहा था, तो पुलिस कर्मी ने कहा कि इसे अस्पताल से बाहर फेंक दो। मैंने तो इसको बाहर  फेकने की बजाय यहीं पर बांधकर रखा हैं। मैंने फिर पूंछा कि क्या यह पागल है? तो महिला सुरक्षा कर्मी ने कहा कि "हमे पता नहीं भाईसाहब!"

अब मुझे थोडा गुस्सा आ रहा था, मैं अजीब सी कैफियत महसूस कर रहा था, मैंने सहमते हुए फिर पूंछा "क्या आपको नहीं पता कि ऐसी परिस्तिथि में आपको क्या करना चाहिए?" इस पर पुरुष सुरक्षा कर्मी ने गुस्से में जवाब दिया "आप ही बता दो कि क्या करें?"

मैंने कहा कि आप किसी के साथ भी ऐसा सलूक नहीं कर सकते। पुरुष सुरक्षा कर्मी ने कहा "थोड़ी देर में ये शांत हो जायगा, हम इसे खोल देंगे और ये आपने घर चला जायेगा।"

इस जवाब ने मुझे और भी गुस्सा दिला दिया। मैंने सोचा कि क्यों ना मैं इनसे बात करके पता करूँ की मामला क्या है? उनके पास जाकर मामले को समझने की कोशिश की तो पता चला कि वह बुजूर्ग व्यक्ति चोटिल हैं, बाई कलाई गंभीर चोट के कारण सूजकर बहुत मोटी हो गई है। और इसी का इलाज करने वे अस्पताल आए थे, जहाँ उन्हें इलाज की जगह बांधकर रखा गया।

उन्होंने यह भी कहा कि आज के बाद मैं यहाँ नहीं आऊंगा नहीं आऊंगा !! आप मेरे हाथ-पैर खोलदो आपकी बड़ी महरबानी होगी बेटा;;;;;;;;;;छोटे-भाई;;;;;;;;;;;;;;;;;;;लला;;;;;;;;;;;;;



वीडियो देखें:





मैंने उनकी मदद करने की ठानी, उनकी पट्टियाँ खुलवाई और उनको बेहतर महसूस कराने के लिए कुछ समय भी उनके साथ बिताया।

"जो बुजुर्ग नागरिक हमें आशीर्वाद और अक्ल देते हैं, हमे उनकी सुरक्षा और सेवा की प्राथमिकता को सदेव याद रखते हुए निभाते रहना चाहिए.....ये देश के बुजुर्ग नागरिक तुम्हारे और हमारे बुजुर्ग अपने है।"

प्रशासन : प्रशासन को संवेदनशीलता दिखाते हुए ठोस कदम उठाने की जरुरत है।

2 comments:

  1. उफ्फ... हद है संवेदनहीनता की, ऐसे पुलिस वालो और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए. सरकार क्या सो रही है, या जान बूझ कर आँखों पर पट्टी बाँधी हुई है...

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  2. इन्हें इंसान कहा जाय या ...!

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