भारत ही एक पहला ऐसा देश जहाँ पुरुषों और महिलायों के बीच में पवित्र रिश्तों की डोर है | जैसे की भाई - बहन, पति - पत्नी, बाप - बेटी और इत्यादि | साथ ही साथ सभी के कामों को वक्त और अनुभव के अनुसार बताया भी गया है | भारतीय संस्कृति के अनुसार महिलाओं को उच्च पद पर भी रखा गया है जैसे अगर बीवी है तो वह पत्नी धन, बेटी है तो पुत्री धन और इत्यादि जिसे हमेशा पर्दे में ही राखह गया है क्योकि यह एक परिवार महत्वपूर्ण हिस्सा होने के साथ साथ धन भी है, जो सोंदर्य और वैभव का एक मात्र आभूषण है | जिसकी जिम्मेदारी होती है : अपने से छोटों को सही परवरिश देना और उनकी देखरेख, जिससे वे सही सिख ले सके | भारत वर्ष में महिलायों ने नियम और अपनी सूझ - बुझ से गौरव भी हांसिल किया है | हलाकि कही कही तो हिजाब और बुर्के के भी नियम है, जोकि सराहनीय है | हिंदुस्तान में एक दुसरे की कद्र के लिए ही ये कायदे और नियम बनाये गए है | अन्य देशों में ऐसा नहीं होता है, और मुझे यह कहते हुआ गर्व है कि इसी कारण पूरी दुनिया हिंदुस्तान की दीवानी है |
आज का भारत ढ्कोच्लों में फसता जा रहा है और छूट इसलिए मिल जाती है क्योकि यह लोकतंत्र है जहा सभी को आजादी का पूरा हक़ है मैं सोच रहा हूँ कि क्या आजादी में कोई बंदिश नहीं होती ? और जवाब भी मेरे ही पास है कि आजादी में भी बंदिश होती हैं जैसे आजादी वाले और तानाशाही देशों में आतंकवाद के लिए कोई आजादी नहीं यह देश और नागरिकों के लिए सही संकेत नहीं हैं | मैं उपरोक्त कथन से यही कहना चाहता हूँ कि आजादी सही मायने में मनमानी को नहीं कहते और न ही इसकी तुलना अपने आजादी के हक़ से करनी चाहिए |
आज कल कि महिलाएं घरों से बहार निकल कर अपना प्रदर्शन करने के लिए तत्पर रहती हैं, और इसमें गौरव समझती है अगर कोई उन्हें टोक दे तो समझो बस उसकी तो सहमत आ गई, अगर वह बुजुर्ग है तो मानव अधिकार कि बात करती है और जवान है तो पोलिसे को फोन कर उसकी खबर लेती हैं | मैं उस दिन के इन्तजार में हूँ जब हर कोई इन्हें टोकेगा या सभी इसे बढ़ावा देंगें तो क्या होगा ? इसका कोई भी जवाब मेरे पास नहीं है और वो नजारा कैसा होगा क्या भारत का नाम तो नहीं बदल जायेगा जैसे लोग बदल गए है ?
आशा करता हूँ जोभी होगा सराहनीय होगा जो अब तक देखता आया हूँ उसके अनुसार लोगों को पसंद और कायदे से गलत ही होता आया है | आखिर क्या कमी है भारतीय संस्कृति में ? अब और अधिक शब्द नहीं है |
धन्यवाद
जी भारतीय संस्कृति में कोई कमी नहीं आज के नई जनता में है ....
ReplyDeleteachha likha hai harish ji.
ReplyDeleteभारत ही एक पहला ऐसा देश जहाँ पुरुषों और महिलायों के बीच में पवित्र रिश्तों की डोर है | जैसे की भाई - बहन, पति - पत्नी, बाप - बेटी और इत्यादि | साथ ही साथ सभी के कामों को वक्त और अनुभव के अनुसार बताया भी गया है
ReplyDeleteभारत ही एक पहला ऐसा देश जहाँ पुरुषों और महिलायों के बीच में पवित्र रिश्तों की डोर है | जैसे की भाई - बहन, पति - पत्नी, बाप - बेटी और इत्यादि | साथ ही साथ सभी के कामों को वक्त और अनुभव के अनुसार बताया भी गया है
ReplyDeleteआज कल कि महिलाएं घरों से बहार निकल कर अपना प्रदर्शन करने के लिए तत्पर रहती हैं, और इसमें गौरव समझती है अगर कोई उन्हें टोक दे तो समझो बस उसकी तो सहमत आ गई, अगर वह बुजुर्ग है तो मानव अधिकार कि बात करती है और जवान है तो पोलिसे को फोन कर उसकी खबर लेती हैं | मैं उस दिन के इन्तजार में हूँ जब हर कोई इन्हें टोकेगा या सभी इसे बढ़ावा देंगें तो क्या होगा ?
ReplyDeleteआशा करता हूँ जोभी होगा सराहनीय होगा जो अब तक देखता आया हूँ उसके अनुसार लोगों को पसंद और कायदे से गलत ही होता आया है | आखिर क्या कमी है भारतीय संस्कृति में ? अब और अधिक शब्द नहीं है |
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteवाह क्या बात कही है.. मेरी आँखे खोल दी आपने... आभार..
ReplyDeleteआप ने तो मजेदार बात कही है
ReplyDeleteधन्यवाद
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहमें नारी जाती का सम्मान करना चाहिए.....पर इसका यह मतलब कदापि नहीं है की ये इसका फायेदा अपनी गलत जरूरतों को पूरा करने मैं करें.
ReplyDeleteबकवास पोस्ट और ऊपर से फर्जी कमेन्ट भी.
ReplyDeleteपोस्ट के शीर्षक से ही पता चल गया था कि तुम्हारी सोच क्या होगी.
aap bevkoof haen pataa chalgayaa
ReplyDeleteaur mahila kae upar aesi 56000 post pehlae hi aa chuki haen kuch nayaa kahoo maere yaar
ab to chokherbaaliyaa in posto kaa jawaab bhi nahin daeti
आपने लिखा तो सही है, लेकिन लोग समझेंगे नहीं.
ReplyDeleteप्रेमरस पर पढ़िए:
बाप रे बाप, डॉक्टर!
हरीश भाई, बडे तीखे तेवर हैं आपके। काश, आपकी बात लोगों के भी समझ में आती।
ReplyDelete---------
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?